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आदिवासियों के द्वारा देवी-देवताओं के पूजन, त्योहारों एवं विशेष अवसरों पर पारम्परिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है

    17 से 31 दिसंबर तक 12 वाद्ययंत्रों का 60 लोगो को दिया जायेगा प्रशिक्षण मुख्यमंत्री के घोषणा अनुसार आदिम सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण ह...

 

 

17 से 31 दिसंबर तक 12 वाद्ययंत्रों का 60 लोगो को दिया जायेगा प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री के घोषणा अनुसार आदिम सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण हेतु किया जा रहा प्रयास

 कोण्डागांव, कोण्डागांव स्थित शिल्पनगरी में 17 से 31 दिसंबर तक जिले के 60 से अधिक लोगो को 12 प्रकार के आदिवासी वाद्ययंत्रों के निर्माण हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मई 2022 में अपने कोण्डागांव प्रवास के दौरान आदिम संस्कृति के सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण को बढ़ावा देने एवं विलुप्त हो रहे आदिवासी वाद्ययंत्रों को पुर्नजीवित करने एवं लोगो को इसे पारम्परिक तरीकों से निर्माण विधि अवगत कराने हेतु निर्देशित किया गया था। जिसके अनुसार आदिवासी विकास शाखा के द्वारा 14 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अधीन शिल्प नगरी में प्रारंभ किया गया है। जिसका शुभारंभ 17 दिसंबर को हस्तशिल्प बोर्ड अध्यक्ष सह विधायक नारायणपुर चंदन कश्यप तथा विधायक कोण्डागांव मोहन मरकाम द्वारा किया गया था।

    इस संबंध में शिल्प बोर्ड कोण्डागांव के प्रबंधक अनिरूद्ध कोचे ने बताया कि आदिवासियों के द्वारा देवी-देवताओं के पूजन, त्योहारों एवं विशेष अवसरों पर पारम्परिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है। जो कि लगातार विलुप्त हो रहे थे। जिन्हे पुर्नजीवित करने हेतु मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर पारम्परिक रूप से 12 प्रकार के वाद्ययंत्रों का निर्माण ग्रामीणों को सिखाया जा रहा है। जिसमें माटी मांदर, खुंट मांदर, ढोल, ढपरा, तुड़बुड़ी, निशान, ढुडरा, कोटोड़का, तोड़ी, तुरई, घाटी, कौड़ी, मयुर जाल का निर्माण 5-5 ग्रामीणों का सिखाया जा रहा है। कुल 60 ग्रामीणों को इसके अंतर्गत प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिन्हे किबई बालेंगा के प्रशिक्षक नेतुराम, संतुराम मरावी, मानकुराम नेताम द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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