रायपुर। राज्य के पांच संभागों के 117 तालाबों पर अतिक्रमण की चौंकाने वाली जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की एक सुनवाई के दौरान सामने...
रायपुर। राज्य के पांच संभागों के 117 तालाबों पर अतिक्रमण की चौंकाने वाली जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की एक सुनवाई के दौरान सामने आई है। ये अतिक्रमण प्रदेश के सभी पांच संभागों के नगरीय निकाय क्षेत्रों में स्थित तालाबों पर पाए गए हैं। राज्य के नगरीय निकायों ने स्वयं एनजीटी को इन अतिक्रमणों के बारे में सूचित किया है और अब इन्हें हटाने के लिए समय सीमा भी तय कर दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक अतिक्रमण रायपुर और बिलासपुर संभाग के नगरीय निकाय क्षेत्रों में हैं। रायपुर संभाग में 45 तालाबों पर और बिलासपुर में 43 तालाबों पर अतिक्रमण है। इसके अलावा, दुर्ग संभाग में 25, सरगुजा में 3 और बस्तर संभाग में 2 तालाबों पर अतिक्रमण की स्थिति है।
एनजीटी के आदेश के पश्चात, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रदेश के नगर निगम आयुक्तों, सभी मुख्य नगर पालिका अधिकारियों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए तालाबों और जल स्रोतों को अतिक्रमण से मुक्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। निकायों से कहा गया है कि वे अपने क्षेत्र के तालाबों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करें और इसकी समय सीमा निर्धारित करें।
बलौदा जिला जांजगीर के सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश प्रसाद देवगन बर की याचिका पर एनजीटी की सुनवाई हो रही है। उन्होंने अपने क्षेत्र के तालाबों पर अतिक्रमण के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि बलौदा नगर में बस स्टैंड के पास खसरा नं. 2591 पर अवैध अतिक्रमण और बिना उचित सीवरेज व्यवस्था के जल निकाय में अनुपचारित सीवेज जल छोड़ा जा रहा है।
एनजीटी ने इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति बनाने का आदेश दिया है। समिति को छत्तीसगढ़ राज्य के तालाबों और जल निकायों की कुल संख्या का संकलन करने और राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाबों एवं क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट सभी जिलाधिकारियों से मंगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। एनजीटी ने जिलाधिकारियों से छह सप्ताह में रिपोर्ट जमा करने को कहा है।
इस कार्यवाही से छत्तीसगढ़ में जल निकायों के संरक्षण और उनके पुनरुद्धार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। राज्य की जनता और पर्यावरण के हित में यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
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