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किसानों के लिए रेशम पालन भी आय का उत्तम साधन

जशपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में किसानों को रेशम पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है विगत दिवस विभाग जशपुर द्वारा सिल्क ...


जशपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में किसानों को रेशम पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है विगत दिवस विभाग जशपुर द्वारा सिल्क समग्र योजनान्तर्गत रेशम केंद्र महुआटोली में जिला स्तरीय कृषक विमर्श कार्यक्रम का आयोजन  सहायक संचालक रेशम श्याम कुमार के मुख्य आतिथ्य में रखा गया। जिसके अंतर्गत फील्ड विजिट तकनीकी परामर्श, कृषक संवाद, योजना की बिन्दुवार प्रगति आगामी फसल तैयारियों की समीक्षा की गई।


सर्वप्रथम कार्यक्रम का संचालन करने हेतु फील्ड ऑफिसर रेशम ऋषि कुमार सिंह ने बताया की कृषकों को 1 कि.ग्रा. कोकून उत्पादन के लिए 15 से 20 कि०ग्रा० मलबरी पत्तियों की आवश्यकता होगी। जिसके लिए उन्हे व्ही 36 जैसी उच्च उपज, प्रोटीन मात्रा युक्त पौध प्रजातियाँ प्रदान की जा रही है। किसानों को बेहतर पौध प्रबंधन एवं संरक्षण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि अधिक लाभांश प्राप्त किया जा सके। साथ ही कृषकों विपरीत परिस्थितियों के लिए किसानों को अपने पौध प्रक्षेत्र के अतिरिक्त नर्सरी तैयार करने को कहा गया। जिसके लिए उन्हे केन्द्र में नर्सरी प्लॉट का भ्रमण कराया गया एवं मूलभूत जानकारी प्रदान की गयी। साथ ही साथ तैयार कृमिपालन भवन तापक्रम प्रबंधन के लिए मीटर स्थापित करने कहा गया एवं उसके उपयोग चार्ट सारणी प्रदान की गयी।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में महाराष्ट्र (वर्धा) भ्रमण से लौटे किसानों द्वारा वर्धा के किसानों द्वारा अपनायी जा रही तकनीकियों को अन्य किसानों से साझा किया गया एवं प्रश्नोत्तरी श्रृंखला द्वारा किसानों ने अपने सवालों के जवाब प्राप्त कियें। तत्पश्चात सहायक संचालक रेशम द्वारा हितग्राही कार्य प्रगति की समीक्षा की गयी एवं बेहतर कार्य कर रहे किसानों को प्रोत्साहित किया गया तथा आगामी फसल तैयारियों हेतु केन्द्राधिकारियों एवं कृषकों को निर्देशित किया गया। किसानों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए बेहतर कार्य एवं उत्पादन करने वाले किसानों को उच्च अधिकारियों द्वारा सम्मानित कराये जाने की बात कही गयी।

उल्लेनीय है कि छत्तीसगढ़ में शहतूत पौधरोपण कर शहतूत रेशम उत्पादन करने की अपार संभावनाएं है। देश में इस समय रेशम की बहुत कमी है, ऐसे में उत्पादित रेशम ककून का विक्रय तत्काल होने की संभावना भी है। केन्द्र सरकार द्वारा सिल्क समग्र-2 योजना वर्ष 2021-22 से 2025-26 में क्रियान्वित किया जा रहा है। सिल्क समग्र-2 योजनांतर्गत लघु एवं सीमांत कृषकों की भूमि पर शहतूत पौधरोपण करने के लिए 5 लाख प्रति एकड़ दिए जाने का प्रावधान है।  

भारत सरकार की केन्द्रीय क्षेत्रीय योजना सिल्क-2 में प्रावधानानुसार 80 प्रतिशत राशि केन्द्रांश के रूप में तथा 10 प्रतिशत हितग्राही अंश एवं 10 प्रतिशत राज्यांश राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा  योजनांतर्गत धान के अतिरिक्त अन्य फसलों के लिए कृषकों को प्रति एकड़ 10000 हजार प्रतिवर्ष देने की व्यवस्था है तथा केन्द्र सरकार द्वारा पीएम किसान योजना के तहत् पात्र कृषकों को प्रति वर्ष 6000 दिया जाता है।

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