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माओवाद प्रभावित गांव में जगी शिक्षा की लौ, युक्तिकरण बना उम्मीद की किरण

  सुकमा । माओवाद प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड के सुदूरवर्ती गांव सुरपनगुड़ा में अब शिक्षा की नई रोशनी फैल रही है। घने जंगलों और पहाड़...

 


सुकमा । माओवाद प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड के सुदूरवर्ती गांव सुरपनगुड़ा में अब शिक्षा की नई रोशनी फैल रही है। घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव के बच्चे भी अब राज्य के अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से लाभान्वित हो रहे हैं। यह संभव हो पाया है छत्तीसगढ़ शासन की युक्तिकरण नीति के प्रभावी क्रियान्वयन से, जिसके अंतर्गत प्राथमिक शाला सुरपनगुड़ा में पहली बार एक नियमित शिक्षक की पदस्थापना की गई है।अब तक इस स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी थी। कक्षाएं तो थीं, पर नियमित शिक्षक के अभाव में बच्चों की पढ़ाई शिक्षादूतों के भरोसे संचालित हो रही थी। माता-पिता बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे, लेकिन कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा था। शासन द्वारा लागू की गई युक्तिकरण योजना के तहत अब छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित की गई है। इसी पहल के तहत सुरपनगुड़ा के बच्चों को एक स्थायी शिक्षक की सौगात मिली है।

युक्तिकरण प्रक्रिया के माध्यम से सुकमा जिले के दुर्गम और संवेदनशील इलाकों में भी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती दी जा रही है। सुरपनगुड़ा जैसे क्षेत्र, जहां तक पहुँचना भी एक चुनौती होता है, वहां अब शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं और बच्चों को पूरे समर्पण के साथ पढ़ा रहे हैं।

नियमित शिक्षक की नियुक्ति से बच्चों की स्कूल में उपस्थिति में वृद्धि हुई है। मध्यान्ह भोजन योजना का भी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है, बच्चे न सिर्फ पढ़ने आ रहे हैं बल्कि स्कूल में मिलने वाले भोजन का आनंद भी ले रहे हैं। इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है और ग्रामीणों का विश्वास भी शासन की योजनाओं पर और मजबूत हुआ है। यह पहल न केवल सुरपनगुड़ा बल्कि पूरे माओवाद प्रभावित अंचलों में शिक्षा के क्षेत्र में उम्मीद की एक नई किरण बनकर सामने आई है। युक्तिकरण की यह नीति शिक्षा को अंतिम छोर तक पहुंचाने की दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध हो रही है।


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