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छिंदगढ़ की स्व-सहायता समूह की दीदियों ने स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की

  रायपुर, 26 अगस्त 2025 “हम सबका है सपना, साफ-स्वच्छ हो छिंदगढ़ अपना” इसी संकल्प को साकार करने में सुकमा जिले के ग्राम छिंदगढ़ की कमल फूल स्व-...

 


रायपुर, 26 अगस्त 2025 “हम सबका है सपना, साफ-स्वच्छ हो छिंदगढ़ अपना” इसी संकल्प को साकार करने में सुकमा जिले के ग्राम छिंदगढ़ की कमल फूल स्व-सहायता समूह की महिलाएँ अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। स्वच्छता को जीवन का हिस्सा बनाते हुए यह महिलाएँ आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। समूह की अध्यक्ष शांति करट्टामी बताती हैं कि एक समय था, जब न तो उनके पास अपना घर था और न ही आर्थिक स्थिति मजबूत थी। लेकिन पीआरपी संगीता के मार्गदर्शन से जब उन्होंने स्व-सहायता समूह से जुड़कर नियमित बचत और ऋण सुविधा का लाभ लिया, तो आज उन्होंने अपने सपनों का घर पूरा कर लिया है। उन्होंने समूह से 60 हजार रुपये लेकर मकान का निर्माण किया। अध्यक्ष करट्टामी का कहना है कि स्व-सहायता समूह प्रत्येक महिला के लिए आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का सशक्त मार्ग है।

सितंबर 2024 से ग्राम पंचायत छिंदगढ़ के सहयोग से समूह ने गाँव की स्वच्छता की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली। 13 सदस्याओं वाला यह समूह प्रतिदिन सुबह दुकानों से गीला, सूखा और प्लास्टिक कचरा पृथक रूप से एकत्र करता है। दोपहर में सभी महिलाएँ मिलकर कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करती हैं। प्लास्टिक और अन्य उपयोगी अपशिष्ट को बेचकर समूह अतिरिक्त आय अर्जित कर रहा है। इस पहल से समूह की महिलाएँ प्रतिमाह लगभग 15 से 20 हजार रुपये एकत्र कर रही हैं। इसमें ग्राम पंचायत से प्राप्त 15वें वित्त आयोग की राशि तथा दुकानदारों से लिया जाने वाला स्वच्छता शुल्क भी सम्मिलित है। अर्जित धनराशि को समूह भविष्य की आवश्यकताओं और सामाजिक कार्यों के लिए संचित कर रहा है।

स्वच्छता अभियान के परिणामस्वरूप छिंदगढ़ गाँव की गलियाँ अब स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त दिखाई देती हैं। गीले और सूखे कचरे को पृथक करने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। प्लास्टिक अपशिष्ट का वैज्ञानिक प्रबंधन होने से रोग फैलने की संभावनाएँ कम हुई हैं। साथ ही, ग्रामीणों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। छिंदगढ़ की स्व-सहायता समूह की महिलाएँ आज पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जिन्होंने स्वच्छता और आत्मनिर्भरता को एक साथ जोड़कर सामाजिक परिवर्तन की मिसाल कायम की है।




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