Page Nav

HIDE

Gradient Skin

Gradient_Skin

Pages

बड़ी ख़बर

latest

कैदियों ने किया ‘पुष्प की अभिलाषा’ का सामूहिक पाठ, उप मुख्यमंत्री रहे शामिल

  रायपुर, 29 अगस्त 2025 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सुप्रसिद्ध कवि स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित कालजयी कविता ’पुष्प की अभिलाषा’ ...

 


रायपुर, 29 अगस्त 2025 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सुप्रसिद्ध कवि स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित कालजयी कविता ’पुष्प की अभिलाषा’ का आज केन्द्रीय जेल बिलासपुर में सामूहिक पाठ किया गया। स्वर्गीय चतुर्वेदी ने बिलासपुर केन्द्रीय जेल में निरूद्ध रहने के दौरान 18 फरवरी 1922 को इस देशभक्तिपूर्ण काव्य की रचना की थी। उप मुख्यमंत्री अरुण साव की मौजूदगी में कैदियों ने इसका सामूहिक पाठ किया। केन्द्रीय जेल प्रशासन द्वारा एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह के सहयोग से इस प्रेरणादायी कविता पाठ समारोह का आयोजन किया गया था। विधायक सुशांत शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल तथा संपादक एवं कवि देवेन्द्र कुमार सहित जेल प्रशासन के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कैदी कार्यक्रम में शामिल हुए।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने समारोह में ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से मशहूर साहित्यकार स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि बिलासपुर के इस ऐतिहासिक जेल में देशभक्त साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी के प्रति श्रद्धा एवं आदरभाव व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए हैं। देश के लिए बलिदान का क्या महत्व है, इस कालजयी रचना के जरिए बताया गया है। उन्होंने कहा कि एक फूल की इच्छा है कि वह सम्राट अथवा देवता के सिर पर नहीं, बल्कि उस मार्ग में सेनानियों के पैरों तले कुचला जाना मंजूर करता है जिस पथ से होकर सेनानी देश को आजाद करने की लड़ाई में आगे बढ़ें। यह देश के लिए महती त्याग और बलिदान की भावना है। 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि चतुर्वेदी की आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका थी। देशभक्ति की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी थी। वे 5 जुलाई 1921 से 1 मार्च 1922 तक सात माह 27 दिन इस जेल में निरूद्ध रहे। इसी जेल में रहकर उन्होंने 18 फरवरी 2022 को यह कालजयी रचना सेनानियों को सौंपी थी। बिलासपुर के साथ ही संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए यह कविता बड़ी धरोहर है। इससे हम सबको अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलेगी। 

साव ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी प्रकाण्ड विद्वान और देशभक्त थे। ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से उन्हें जाना जाता है। देश की आजादी के बाद उन्हें प्रथम साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। ‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक से रचित कविता का एक-एक शब्द देशभक्ति के भावों से भरा हुआ है। यह हम सबको देश और समाज के लिए समर्पण भाव से काम करने के लिए प्रेरित करता है। दीपक सिंह,मोहित जायसवाल और जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी भी समारोह में मौजूद थे।


No comments