नई दिल्ली। केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS), आयुष मंत्रालय ने विजयवाड़ा में SIDDHI 2.0 (Scientific Innovation in Drug Deve...
नई दिल्ली। केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS), आयुष मंत्रालय ने विजयवाड़ा में SIDDHI 2.0 (Scientific Innovation in Drug Development, Healthcare & Integration) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य आयुर्वेदिक औषधि क्षेत्र में शोध-आधारित इनोवेशन को तेज करना है। यह दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (RARI), विजयवाड़ा और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII), विजयवाड़ा जोन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र में प्रो. वेद्य रबिनारायण आचार्य, महानिदेशक, CCRAS; के. दिनेश कुमार,आईएएस, निदेशक (आयुष), आंध्र प्रदेश सरकार; डॉ. एन. श्रीकांत, उप महानिदेशक, CCRAS; किरण भूपतिराजू उपस्थित रहे। इसी दौरान CCRAS ने अपनी मेडिको-हिस्टोरिकल पुस्तक “Evolution of Ayurveda, Siddha & Unani Drug Regulations in India” तथा नए ड्रग इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल का भी लोकार्पण किया।
PRAGATI-2024 को आगे बढ़ाते हुए SIDDHI 2.0 का उद्देश्य शोध-आधारित उत्पाद विकास, स्वदेशी तकनीकी उन्नति, ट्रांसलेशनल रिसर्च और उद्योग साझेदारी को तेज करना है। कार्यक्रम में बोलते हुए महानिदेशक प्रो. रबिनारायण आचार्य ने कहा कि बढ़ती जीवनशैली संबंधी बीमारियों के बीच आयुर्वेद की वेलनेस-केंद्रित सोच अत्यंत महत्वपूर्ण होती जा रही है। उन्होंने CII द्वारा CCRAS और फार्मा उद्योग को जोड़ने में निभाई जा रही भूमिका की सराहना की। उन्होंने SPARK, SMART, PDF फेलोशिप और शोध-प्रणाली कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए उद्योग के साथ मिलकर उत्पन्न होने वाले IPR को समान रूप से साझा करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की।
आंध्र प्रदेश सरकार के आयुष निदेशक के. दिनेश कुमार ने कहा कि राज्य में आयुर्वेद कॉलेजों और फार्मा इकाइयों की संख्या कम है और एक राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना लाभकारी होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान ने जीवनकाल बढ़ाया है, लेकिन आयुर्वेद स्वस्थ जीवनकाल प्रदान करता है। CCRAS के उप महानिदेशक डॉ. एन. श्रीकांत ने बताया कि परिषद ने 150 से अधिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन जिनमें हर्बो-मिनरल प्रिपरेशन भी शामिल हैं, इनका परीक्षण और सत्यापन किया जा चुका है। उन्होंने उद्योग को CCRAS के गुणवत्ता, सुरक्षा और विषाक्तता संबंधी विशाल डेटा का उपयोग करने और IPR साझा करने वाली उद्योग-अनुकूल नीति का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उद्योग की ओर से अपना विचार प्रस्तुत करते हुए CEO किरण भूपतिराजू ने कहा कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और फॉर्मूलेशन का आधुनिकीकरण उनके वैश्विक बाजार विस्तार के लिए आवश्यक है। CII विजयवाड़ा जोन की चेयरपर्सन डॉ. नागलक्ष्मी ने कहा कि आयुर्वेद की पूरी क्षमता का दोहन अभी बाकी है और शोध, शिक्षा, निर्माण तथा उद्योग के बीच तालमेल बढ़ने से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सम्मेलन के पहले दिन CCRAS वैज्ञानिकों और हिमालया वेलनेस कंपनी जैसी प्रमुख संस्थाओं के विशेषज्ञों ने तकनीकी सत्रों में अपनी शोध-सुविधाएं, विकसित प्रोडक्ट्स, तकनीकें और विकासाधीन फॉर्मूलेशन प्रस्तुत किए। उद्योग के साथ संभावित सहयोग क्षेत्रों पर भी चर्चा हुई।
SIDDHI 2.0 में दक्षिण भारत की 25 से अधिक प्रमुख आयुर्वेदिक फार्मा कंपनियों-जैसे हिमालया वेलनेस कंपनी, औषधि, IMPCOPS, Laila Nutra Pvt. Ltd., और Imis Pharmaceuticals के प्रतिनिधियों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, राज्य आयुष अधिकारियों और डॉ. NRS आयुर्वेदिक कॉलेज, विजयवाड़ा के स्नातकोत्तर छात्रों ने सक्रिय भागीदारी की। राष्ट्रीय ट्रांसलेशनल एक्सेलरेटर के रूप में स्थापित SIDDHI 2.0 का उद्देश्य उद्योग द्वारा CCRAS तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, संस्थागत सहयोग को मजबूत करना, गुणवत्ता और नियामक ढांचों को उन्नत बनाना और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी आयुर्वेदिक औषधि उद्योग विकसित करना है।

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